Tuesday, November 30, 2010

imtihan

यूँ ही किताबो मैं अपना मन नहीं लगाता मैं,
अपने चंचल दिल को इस कदर नहीं सुलाता मैं |
इम्तिहान की घडिया पास न होती तो कसम से,
एक पल भी तुमसे दूर न जाता मैं ||

Friday, October 1, 2010

प्यार क्या हैं ?

"प्यार गौण हो चुकी उस इंसानियत का नाम हैं,
निश्छल हृदय की उस मासूमियत का नाम हैं |
जिसकी विवेचना इंसान की कल्पनाओं से परे हैं,
प्यार ईश्वर प्रदत्त उसी वास्तविक शख्सियत का नाम हैं||"

Saturday, September 11, 2010

यादो की ज़ंजीरो मैं ज़कड़ ले मुझे,
मेरी तन्हाई ये आवाज़ देती हैं|
कोई बेहताशा मोहब्बत करता हैं तुझसे,
इस दिल की आरजू ये पैगाम देती हैं ||



इस तन्हाई की ज़िन्दगी को हम छोड़ देंगे ए दर्द-ए-जिगर,
ये तन्हाई सिर्फ दर्द का अंजाम देती हैं |
तेरी यादो मैं ए-जाने-तमन्ना डूब जायेंगे आकंठ तक ,
ये यादे ही हमे मोक्ष का मुकाम देती हैं ||

Wednesday, September 8, 2010

bhawarth

अर्थात समय के दबाव के समक्ष मैं पिसता जा रहा हूँ, समय का पहिया मुझे स्वयं के तले रौंदता जा रहा हैं |जीवन मैं आये विभिन्न तकलीफों,दर्दो ने मुझे अपने आग़ोश मैं ले लिया हैं जिस प्रकार जल का ठोस रूप जब अपने चरम पर होता हैं तो वह मौजूद प्रत्येक वस्तु को अपनी जकडन में फंसा लेता हैं ,समय भी मुझे उसी भांति सम्मोहित करता जा रहा हैं |समय सूत्रधार हैं अर्थात उस सूत्र अथवा डोरी को थामे हुए हैं जिसके दुसरे बिंदु पर में एक कठपुतली की भांति लटका हुआ हूँ व मैं उसके हस्तो द्वारा नियंत्रित उस कठपुतली के सामान हूँ जिसे वह जब चाहे अपने अनुसार मोड़ देता हैं,जिस प्रकार समुद्र में तूफान के दौरान उठा भंवर अपने अन्दर समायी हर वस्तु को अपने अनुसार घुमा देता हैं ,उसे अपना गुलाम बना देता हैं ठीक उसी प्रकार मैं भी समय के भंवर रूपी जाल में फंस गया हूँ एवं अत्यंत ही निस्सहाय महसूस कर रहा हूँ ||

Monday, September 6, 2010

samay

"दबिश-ए-समय में हम दब कर रह गए,
दर्द भरी झकडन में जम कर रह गए|
वो सूत्रधार और महज कठपुतलिया हैं हम,
उसके गतिशील भंवर में हम रम कर रह गए ||"

Tuesday, August 31, 2010

Saadgi

"तेरे अरमानो को अपनी ज़िन्दगी बना लूँगा मैं,
तेरे ज़ख्मो को अपनी बंदगी बना लूँगा मैं |
रहकर साये में तेरी जुल्फों के पल भर के लिए भी
तेरी ख़ूबसूरती को अपनी सादगी बना लूँगा मैं || "

Tuesday, August 17, 2010

School ki wo

"स्कूल में उनकी मौजूदगी का मज़ा ही कुछ और था,
उनके संग बतियाने का मज़ा ही कुछ और था |
स्कूल में आती थी जब वो अपनी जुल्फे लहराकर,
तो उनकी उस अदा के दीदार का मज़ा ही कुछ और था ||"

Friday, August 13, 2010

Love at first sight

"उसकी हंसी मेरे मन को लुभा गयी,
मेरे चंचल मन पे एक विराम सा लगा गयी,
उस हसीना का चेहरा अब भी नज़र से उतरता नही,
लगता हैं मेरी 'वो' मेरी ज़िन्दगी मैं आ गयी.."

Thursday, August 12, 2010

Dost ke naam

बड़ी बेरुखी से उसने मेरे दोस्त का दिल तोडा,
उसके सच्चे प्यार से सिर्फ दोस्ती का नाम जोड़ा |
इस अनमोल हीरे की चमक से महरूम रहेगी वो बेवफा,
जिसने मेरे प्यारे दोस्त का विश्वास भरा हाथ छोड़ा ||

Monday, August 9, 2010

आपकी दुआ रहेगी तो ये भी होगा,
ज़िन्दगी मैं परचम हांसिल भी होगा |
आप जेसे अनमोल हीरे हो जिसके पास तो,
उसे हांसिल सारा जंहा भी होगा||
जी,आपके आदर को मैं सलाम कहता हूँ,
अगली दो पंक्ति आपके नाम कहता हूँ |
आपने जो उपमा दी इस नाचीज़ को अभी अभी ,
उसके लिए मैं तहे दिल से धन्यवाद कहता हूँ ||
ना चाहते हुए भी उसकी याद आ ही जाती हैं ,
उसके मर्म स्पर्श का अहसास करा ही जाती हैं |
ये याद ही तो हैं जो उससे हमें जुदा होने नहीं देती,
वर्ना मौत तो दरवज्जे पर आ ही जाती हैं ||
क्यों मुझसे उसे कुछ कहा नहीं जाता,
क्यों ये अनचाहा दर्द सहा नहीं जाता |
इस कशमकश को अब मैं क्या नाम दूँ दोस्तों,
क्यूंकि उससे बोले बिना भी मुझसे रहा नहीं जाता ||

Wednesday, August 4, 2010

Mausam ki Nazakat

इस सुहाने मौसम को काश मैं भी जी पाता,
इसकी एक एक बूंद का अमृत रस पी पाता |
काश इस मौसम मैं वो भी जो मेरे साथ होती तो,
उसके लबो को भी मैं जरुर अपना लबो से सी पाता ||

Thursday, July 15, 2010

Quote on respect your parents---

जग में जिसने विधाता की पदवी अपनाई हैं,
श्रवण ने जिनकी सेवा कर पाई सच्ची कमी हैं|
रावन ने जिनका अनादर करके हांसिल की दुर्गति,
उन्ही माँ बाप की सेवा करने में ही सबकी भलाई हैं ||

Wednesday, July 14, 2010

ज़िन्दगी इंसान को सब कुछ सिखा देती हैं,
उसके हर अरमान पर अपना नाम लिखा देती हैं |
पर जब जंग होती हैं मोहब्बत और ज़िन्दगी के बीच,
तो यह कमबख्त अपनी पीठ दिखा देती हैं||

Saturday, July 10, 2010

वो लड़की मेरी जिंदगी में उजाला ला गयी,
मुझे जीने का अनमोल मकसद सिखा गयी|
मेरी रगों की रूह में बस गयी हैं वो लड़की,
जीवनभर के लिए वो मुझे अपना बना गयी ||
'जिज्ञासु'

Friday, July 9, 2010

This is my First post in the memory of whom i loved a lot......

yaado ki zanzeero me jakad le muje,
meri tanhai ye aawaz deti h,
koi behatasha mohabbat krta h tujse,
is dil ki aarzu ye paigam deti h!!

is tanhai ki zindagi ko hum chhod denge e-darde zigar,
ye tanhai sirf dard ka anjam deti h,
teri yaado me aie jaane-tammanna dub jayenge aakanth tak,
ye yaade ki hume moksh ka mukaam deti h...!!!

'jigyasu'